पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद
पब्लिकेशंस" से प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल
फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद
हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत
है। आज
आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार संध्या चौधुरी “उर्वशी” की एक कविता जिसका
शीर्षक है “मैं और दिया”:
दिये से पूछा एक
दिन क्या है ,
हमदोनों का यह जीवन,
बोला दिया तुम
बिल्कुल मेरी जैसी ,
मैं जलता रहता
तेरे जैसा,
मैं सृष्टि
की ख़ूबसूरत रचना,
तुम भी खुबसूरती
सी तराशी गई,
तुम मिट्टी की
अगर बनी हुई,
मै भी मिट्टी से
ही तराशी गई,
फिर उसने पूछा
जलने के लिए,
तेल और बाती की
जरूरत तो होगी,
हाँ जीने के लिये
मुझे भी जैसे,
प्यार व सम्मान
कि ज़रूरत तो होगी,
पूछा मैने यूँ कब
तक जलते रहोगे,
हॅसकर बोला तेल
बाती का साथ तबतक,
सुनकर मैं भी
मुस्काई और सोंचा जिऊँगी,
प्यार -सम्मान
मिलता रहेगा जबतक,
लेकिन तेल बाती
का साथ न हो तो !
अगर मुझे भी प्यार और सम्मान,
ना मिला तो फिर
कैसे बचेगा ,
तुम्हारा और मेरा
असितत्व ,
दोनों ही मिट्टी के बने हैं,
एक दिन मिट्टी
में ही मिल जाएँगे,
फिर से जन्म लेने
के लिए,
ऐसी दुनिया में
जहाँ जीने की वजह
हो बिना शर्त ।
हमदोनों का यह जीवन,
अगर मुझे भी प्यार और सम्मान,
हो बिना शर्त ।