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साधना की भावभूमि और पात्रता विकसित करनेवाली प्रार्थना (रविकान्त सनाढ्य, भीलवाड़ा, राजस्थान)

रविकान्त  सनाढ्य (इंटरनेशनल ग्रेन्डमास्टर ऑफ रेकी)
निवास - बी - 275 आर के .कॉलोनी, भीलवाड़ा, राजस्थान

सरल ढंग से ध्यान-साधना सीखने के इच्छुक अभ्यासियों हेतु आरंभिक भावभूमि और पात्रता विकसित करने वाली चामत्कारिक प्रार्थना:
           
प्रार्थना की विधि और इसके लाभ

आसन लगाकर शांत मन से हाथ जोड़कर पूरे मन से पहले मातृशक्ति व बाद में पितृशक्ति की आराधना करें ! चालीस दिन तक पूरे भाव से प्रार्थना करके इसके लाभ आप स्वयं अनुभव करने लगेंगे आपका मनोबल  बढ़ेगा और वयक्तित्व निखरेगा ! परीक्षा में अच्छे परिणाम हेतु विद्यार्थी भी इसे आजमा सकते हैं l

मातृशक्ति की उपासना -
    
👉 हे मातेश्वरी ! आप परम  आनंद की स्वामिनी हैं l आप  मुझे अपने इस अमित आनंद का अंश देने की कृपा करें, ताकि दु:खों की लेशमात्र छाया भी मुझे न छू सके l                                            
 
👉 हे जगत्जननी ! आप मुझे अपने विशुद्ध प्रेम के अंश को प्रदान करने की कृपा करें, ताकि मैं  सबके साथ भाईचारे और मेलजोल से रह सकूँ!     
 
👉 हे जगदंबे ! आप मेरी भावनाओं को निर्मल बनाइये l   मेरे मन में किसी के भी लिये द्वेष , अत्याचार या प्रतिशोध के भाव न पनपें l मैं सबके प्रति हित की बात सोचूँ l राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्य एवं समाज के प्रति अपने दायित्व को मैं कभी न भूलूँ  l             
 
👉  हे माँ आप मेरे हृदय को पवित्र और संवेदनशील बनाइये l दु:खी लोगो को देखकर मेरे मन में करुणा जगे और मैं यथाशक्ति उनकी मदद कर सकूँ l
 
👉 हे भुवनेश्वरी ! आप मेरी रक्तनलिकाओं मे रक्त का स्वस्थ संचार कीजिये, ताकि मैं मानसिक और शारीरिक रूप से पूर्ण नीरोगी रहकर उत्साह और ऊर्जा से भरा रह सकूँ l     
 
👉 हे आदिशक्ति ! मेरी प्रत्येक कोशिका को अपने दिव्य और सात्विक तेज से प्रकाशित कीजिये जिससे मैं कर्मठ बना रह सकूँ l                              
 
👉 हे वरदायिनी ! मेरे संपूर्ण रक्तसंचार तंत्र को पूरी तरह निर्मल बना दीजिये ताकि मैं फुर्तीलाऔर सक्रिय बना रह सकूँ  l
 
👉 हे भुवनेश्वरी ! आप मेरी रक्तनलिकाओं मे रक्त का स्वस्थ संचार कीजिये, ताकि मैं मानसिक और शारीरिक रूप से पूर्ण नीरोगी रहकर उत्साह और ऊर्जा से भरा रह सकूँ     
 
👉 हे आदिशक्ति ! मेरी प्रत्येक कोशिका को अपने दिव्य और सात्विक तेज से प्रकाशित कीजिये जिससे मैं कर्मठ बना रह सकूँ l                              
 
👉 हे वरदायिनी ! मेरे संपूर्ण रक्तसंचार तंत्र को पूरी तरह निर्मल बना दीजिये ताकि मैं फुर्तीला और सक्रिय बना रह सकूँ l

पितृशक्ति की उपासना -

👉 हे परम् पिता परमात्मा ! आप परम  चेतना के स्वामी हैं ! कृपया मुझे भी इसका अंश प्रदान करें , ताकि मैं सजग और सावधान बनकर अपने मानव- जीवन को  सफल कर सकूँ  l

👉 हे प्रभु ! आपकी दृढ़ इच्छाशक्ति से ही यह संसार बना है l मुझे अपने जीवन में एक निश्चित  लक्ष्य पाने के लिये आप ठोस संकल्प प्रदान करें l

👉 हे सर्वशक्तिमान् ! आप मेरे मन को विचलित होने से बचाकर एकाग्र कीजिये ताकि मैं भटकाव के अँधेरे से दूर रहकर उजले भविष्य  की किरण पा सकूँ l

👉 हे दयानिधे ! आप मेरे मस्तिष्क में  सकारात्मक ऊर्जा भरकर मेरे विचारों में विवेक का अंश पैदा कीजिये, ताकि मैं  लोभ, मद-मोह, लालच, ईर्ष्या,घृणा, और बुरी लतों से बचा रह  सकूँ l

👉 हे ईश्वर ! आप मेरी मेरु रज्जु (Spinal Cord) को एकदम दुरस्त बना  दीजिेये, जिससे मैं सदैव आत्मविश्वास, धीरज और अनुशासन की भावना अपनेआप मैं जगा सकूँ l

👉 हे जगत् के आधार !  आप मेरे स्नायुओं (नसों) में दिव्य बल और सात्विक शक्ति की सजीवता प्रदान कीजिये, ताकि मैं सदैव स्वस्थ, सजग और चुस्त बना रह सकूँ l

👉 हे कृपानिधान ! आप मेरे सारे तंत्रिकातंत्र (Nervous-System) को रोगमुक्त बनाकर निर्मल और पवित्र कर दीजिये, ताकि मेरा मानव- जीवन धन्य और सफल हो जाये ! मैं खुशहाली भरा जीवन जी कर उन्नति की राह पा सकूँl

👉 हे प्रभु! आप  अपनी कृपा सदैव मुझपर बरसाते रहेंl

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