पश्चिम
बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से
प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद
हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके
सामने प्रस्तुत है रचनाकार पूजा रॉय की एक कविता जिसका
शीर्षक है “तुम जो यु .....”:
तुम जो यु बदल गये हो,
लगता है बिलकुल नये हो |
नजरें जो चुरा रहे हो,
ऐसे क्यूँ सता रहे हो |
याद जो आ रही हैं,
धड़कने बढ़ा रही हैं |
नाराजगी जो है तुम्हारी ,
जान ये ले जा रही हैं |
मिले थे हम किस्मत से,
फिर क्यूँ यु बिछड़ रहे हो |
तुम जो यु बदल
गये हो,
लगता है बिलकुल
नये हो |
ज़िन्दगी अब कुछ नहीं हैं,
बस सांसे ही चल रही हैं |
बिन तुम्हारे यु हुआ हैं,
उलझा उलझा सा समा हैं |
खोया सा हैं हर उजाला,
अन्धेरा से वास्ता हैं |
तुमने जो बाते कही हैं,
उनसे खुश तुम भी नहीं हो |
तुम जो यु बदल
गये हो,
लगता है बिलकुल
नये हो |
तुम जो यु बदल गये हो,
लगता है बिलकुल नये हो |