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कविता: सपनों का शहर (रवि किशन कुमार “शिवा”, बेगूसराय, बिहार )

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार रवि किशन कुमार शिवा की एक कविता  जिसका शीर्षक है “सपनों का शहर”:

 
मेरे सपनों के शहर में परिंदों का राज है,
ना कोई आगे न कोई पीछे उड़ते सभी साथ साथ है।
 
सेवा सदभाव से सजा पूरा बाजार है,
मौन है उदासी, पाप को वनवास है।
 
रिश्तों में सच्चाई ही सच्चाई
विश्वास की दौलत सबके पास है।
 
सरहदें भाई बहन  जैसे संग
नदी का पानी बिल्कुल साफ है
 
हर आंगन इत्र सी महके
गली को हर मोड़ पर अपने  नाज है
 
हवाएं हक से बहती है
गुजरती रोज खिड़की के पास है
 
मानवता का मज़हब है,
प्रेम और सौहार्द सभी का लिबास है।