पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार रंजना मिश्रा की एक कविता जिसका शीर्षक है “पीड़ा”:
क्या कहूं बहुत ही पीड़ा है
ये हृदय भयानक जलता है
इस जग में ऐसा घोर भयानक
अधम कर्म क्यों पलता है
क्यों बार-बार नारी का पावन
आंचल मैला होता है
सुन घोर भयानक कृत्यों को
पत्थर का मन भी रोता है
घनघोर अधम इन पापों का
क्या कोई भी उपचार नहीं
इन दुष्टों, नीचों, अधमों का
होता अब क्यों संहार नहीं
यूं भीड़ जुटाकर, शोक मनाकर
चुप हो जाएंगे बस हम
कुछ दिन ऐसे ही रो लेंगे
पर पाप कभी न होंगे कम
ये हृदय भयानक जलता है
इस जग में ऐसा घोर भयानक
अधम कर्म क्यों पलता है
क्यों बार-बार नारी का पावन
आंचल मैला होता है
सुन घोर भयानक कृत्यों को
पत्थर का मन भी रोता है
घनघोर अधम इन पापों का
क्या कोई भी उपचार नहीं
इन दुष्टों, नीचों, अधमों का
होता अब क्यों संहार नहीं
यूं भीड़ जुटाकर, शोक मनाकर
चुप हो जाएंगे बस हम
कुछ दिन ऐसे ही रो लेंगे
पर पाप कभी न होंगे कम