पश्चिम
बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से
प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद
हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके
सामने प्रस्तुत है रचनाकार प्रीति श्रीवास्तव की एक कविता जिसका
शीर्षक है “दिवाली है”:
जब लोगों के जीवन
की, रात मिटे काली है,
मेरे लिए तो बस, उसी दिन दिवाली है|
जब भूखे को खाना
मिले,
पंक्षियों को
दाना मिले
बेघर को ठिकाना
मिले,
दामन सबका हो भरा, रहे कभी न खाली है,
मेरे लिए तो बस
उसी दिन दिवाली है |
माँ का दुलार
मिले,
पिता का प्यार
मिले
अपनों का साथ
मिले,
जब आंगन में गूॅऺजे, बच्चों की किलकारी है,
मेरे लिए तो बस
उसी दिन दिवाली है |
जाति और धर्म से,
ऊपर उठ जायें हम
दिलों से दिलों
की,
दूरियाँ हो जायें
कम
जब भावना ये पनपे, कि हम सब भारतीय हैं,
मेरे लिए तो बस
उसी दिन दिवाली है |
देश का हर
व्यक्ति,
जब देश का
पहरेदार बनें
जो देश की खातिर,
मरने को तैयार
रहे
जब सभी के दिलों
में, जगे देशप्रेम है,
मेरे लिए तो बस
उसी दिन दिवाली है |
रोशन हो जायें जब,
सभी लोगों के घर
गरीब की हो
झोपड़ी,
या हो नृप का महल
जब लोगों के
दिलों की,
भावना होगी नेक है,
मेरे लिए तो बस
उसी दिन दिवाली है |
हर नारी का सदा
सम्मान हो,
आदर हो, सत्कार हो
निडर होकर चल सके
वो,
निर्भय होकर जी
सके वो
जब यक़ीन ये हो
जाये,कि सुरक्षित हर नारी है,
मेरे लिए तो बस
उसी दिन दिवाली है |