पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार पृथ्वी राज कुम्हार की एक कविता जिसका शीर्षक है “शिक्षक”:
शिक्षक अपने
शिष्य को,देते रहे प्रकाश।
मारते और पीटते, फिर भी रखते पास।।
रहे हम पिता के
सखा, फिर शिक्षक के साथ।
अज्ञानी को ज्ञान
दिया, पकड़ लिया वो हाथ।।
फटा था कमीज़
अपना,फटे हुए पदवैश ।
शिक्षक की छाया
पड़ी,जरुर हुआ प्रवेश।।
तीन लोकों,नौ खण्ड में,शिक्षक बड़ा महान।
कर्म-कांडो के
योग से, शिक्षक बना ज़हान।।
उदंड किया तो दंड
दिया,नहीं किया मजबूर।
उच्च शिक्षा पर
मान दिया,आनंद था भरपूर।।