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कविता: तुम लड़की हो (कल्पना त्रिवेदी, शुक्लागंज, उन्नाव, उत्तर प्रदेश)

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के
 "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार कल्पना त्रिवेदी की एक कविता  जिसका शीर्षक है “तुम लड़की हो”:
              
तुम लड़की हो तुम डरना सीखो,
तुम लड़की हो तुम संभलकर चलना सीखो,
तुम लड़की हो सब कुछ सहना सीखो,
तुम लड़की हो कुछ भी न कहना सीखो,
तुम लड़की हो सारे तौर-तरीके सीखो,
तुम लड़की हो तुम्हें ससुराल जाना है,
तुम लड़की हो तुम्हें परायो को अपना बनाना है,
तुम लड़की हो तुम्हें घर संभालना है,
तुम लड़की हो तुम्हें बच्चे पालना है,
बेशक आज लड़कियाँ महिला-सशक्तिकरण की राहों में बहुत आगे बढ़ी है,
पर आज भी बहुत सी लड़कियाँ, तुम लड़की हो के बंधनो में कैद पड़ी है,
तुम लड़की हो के बंधनो से निकलने का  जब वो  लड़कियाँ अपने हौसले से साहस दिखायेगीं,
तभी वो तुम लड़की हो के बंधनो से आजाद हो पायेगीं,
तभी वो लड़कियाँ खुद से खुद की सशक्त पहचान बना पायेगीं।