पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद
पब्लिकेशंस" से प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल
फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद
हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत
है। आज
आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार पृथ्वी राज कुम्हार की एक कविता जिसका
शीर्षक है “कृष्ण”:
गोपियों ने प्यार
किया....
राधा ने श्रृंगार किया.....
इंद्र को ललकार दिया.....
वाह रे वाह रे कन्हैया...
तूने इस सृष्टि का निर्माण किया......।
माखन का आहार
किया.....
ब्रज का उद्धार किया........
सुदामा से प्यार किया.......
वाह रे वाह रे कन्हैया.......
तूने इस सृष्टि का निर्माण किया........।।
मामा का शिकार
किया.........
हाथी पर प्रहार किया...........
शत्रु को तणकार दिया..........
वाह रे वाह रे कन्हैया...........
तूने इस सृष्टि का निर्माण किया........।।।
गोवर्धन को उठा
दिया.......
प्रजा को बचा लिया............
जीवन का परिचय दिया......
वाह रे वाह रे कन्हैया..........
तूने इस सृष्टि का निर्माण किया.........।।।।
राधा ने श्रृंगार किया.....
इंद्र को ललकार दिया.....
वाह रे वाह रे कन्हैया...
तूने इस सृष्टि का निर्माण किया......।
ब्रज का उद्धार किया........
सुदामा से प्यार किया.......
वाह रे वाह रे कन्हैया.......
तूने इस सृष्टि का निर्माण किया........।।
हाथी पर प्रहार किया...........
शत्रु को तणकार दिया..........
वाह रे वाह रे कन्हैया...........
तूने इस सृष्टि का निर्माण किया........।।।
प्रजा को बचा लिया............
जीवन का परिचय दिया......
वाह रे वाह रे कन्हैया..........
तूने इस सृष्टि का निर्माण किया.........।।।।