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कविता: शरद ऋतु (ऋतु गुप्ता, खुर्जा, बुलंदशहर, उत्तर प्रदेश)

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के
 "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार ऋतु गुप्ता की एक कविता  जिसका शीर्षक है “शरद ऋतु”: 

शीतल शीतल चांद शरद का तन मन शीतल कर गया।
चहुंओर नभ धरा सागर पर देखो अमृत बरस गया।
 
हर बेल और हर पुष्प पर अनंत उपकार कर गया।
अमृत देकर हर जीव को दूर मलिनता कर गया।
शीतल शीतल चांद शरद का ...
 
सुस्ती भरे मौसम को देखो नये आनंद से भर गया।
प्रेम का रसपान करा कर अग्रिम पर्वो की दस्तक दे गया।
शीतल शीतल चांद शरद का ...
 
मीठी सुंदर पवन बही और तन मन प्रफुल्लित कर गया।
उल्लासित  हुआ हृदय सभी का नई उमंग से भर गया।
शीतल शीतल चांद शरद का ...
 
प्रेम रास की महक जगा कर मन आनंदित कर गया।
दूर कर निराशा सारी नव आशा का संचार कर गया।
शीतल शीतल चांद शरद का ....