पश्चिम
बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से
प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद
हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके
सामने प्रस्तुत है रचनाकार ज्योति कुमारी की एक कविता जिसका
शीर्षक है “गेम नहीं खेलती”:
आजकल मोबाइल पर,
मैं गेम नहीं
खेलती,
मूकदर्शक की
भाँति,
स्तब्ध होकर
नियति का क्रूर
खेल देखती हूँ,
महामारी राहू बन
ग्रस रहा,
मृत्यु अट्टाहास
करता हँस रहा,
अब तो युद्ध के
ताण्डव में,
लहू की वीभत्स
तस्वीर देखती हूँ,
खुशियों पर
शहनाईयों की गूँज थी कभी,
अब कर्णभेदी
विलापों की भीड़ देखती हूँ,
हृदय मौन क्रन्दन
से भर आता,
जब श्मशान में
अग्नि की लपटों का,
भयानक उलटफेर
देखती हूँ,
निराश सभी प्रलय
की दुदुंभी से,
अब तो मानव की
मानवता से,
प्रतिदिन हार
देखती हूँ,
इसलिए,
आजकल मैं गेम
नहीं खेलती,
नियति का क्रूर
खेल देखती हूँ।