पश्चिम
बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से
प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद
हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके
सामने प्रस्तुत है रचनाकार डॉ• सुषमा सिंह की एक कविता जिसका
शीर्षक है “तुम”:
तुम ही मेरा सपना हो
तुम ही मेरा सच ।
तुम ही मेरी राह हो
तुम ही मेरी मंजिल ।
तुम्हारी हँसी के फूल
महका देते हैं
मेरी हँसी की चाँदनी को।
तुम्हारी आँखों के दीप
चमका देते हैं
मेरी दृष्टि के आकाश को ।
तुम्हारी पेशानी की लकीरें
उभर आती हैं
मेरे दिल के कागज़ पर ।
तुम्हारी चाल की सुस्ती
छाने लगती है
मेरी चेतना पर ।
तुम्हारी प्रसन्नता का रंग
रंग देता है
मेरे व्यक्तित्व को ।
तुम्हारे विश्वास की आभा
लपेट लेती है मुझे
और तुममय हुई मैं
तन्मय - चिन्मय की भांति
भूल जाती हूँ अपने आप को
अपने अस्तित्व को ।