पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार कल्पना गुप्ता "रतन" की एक कविता जिसका शीर्षक है “दादी नानी”:
सुन ए बिटिया
रानी
सुनाती हूं एक
कहानी
वह भी थी बेटी
किसी की
जो थी तुम्हारी
दादी नानी।
बरकत
थी तब घरों
में
दुआओं से भरे हाथ थे सर में
खूबसूरत थे
वह दिन जब
लोरिया गाके सुलाती दादी नानी।
होते थे घर के
बेटे बहादुर शूरवीर
बेटियां भी कांधे
पे लटका तरकश
चलाती थीं
आगे बढ़ शत्रु पे तीर
तलवारबाजी थी
सिखाते दादी नानी।
जमाने में नहीं था कोई भी खोट
घूम आते थे अकेले इधर - उधर
मिलता नहीं जो
पहुंचाता चोट
सांस्कारिक बनाती थी दादी नानी।
नानी के नुस्खे दादी के बोल
होते थे सीधे
प्यारे व सच्चे
बिना किसी
भाव गोलमोल
सच की शिक्षा
देती दादी नानी।