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कविता: तुम्हारी पसंद बन पाऊं (अर्तिमा चिक बड़ाईक, हल्दीबाड़ी, बिन्नागुड़ी, जलपाईगुड़ी, पश्चिम बंगाल)

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के
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तुम कहते हो तुम्हें चाय पसंद है,
अगर मैं प्याली बन जाऊं,
तो मुझे चुस्कियों में भर लोगे ना ।
तुम कहते हो तुम्हें नींद पसंद है,
अगर मैं रात बन जाऊं, तो मुझे गले लगाकर सोओगे ना ।
तुम कहते हो तुम्हें समय पर काम करना पसंद है,
अगर मैं घड़ी बन जाऊं,
तो मुझे अपने कलाई में बांध लोगे ना ।
तुम कहते हो तुम्हें आजादी पसंद है,
अगर मैं पंछी बन जाऊं,
तो अपने दिलों में बसेरा दोगे ना ।
तुम कहते हो तुम्हें अपना काम पसंद है,
अगर मैं तुम्हारी कलम बन जाऊं,
तो मुझे अपने हाथों में थामोगे ना ।
तुम कहते हो तुम्हें जीत पसंद है,
अगर मैं जीत का कारण बन जाऊं,
तो मुझे हासिल करोगे ना।
तुम कहते हो तुम्हें गीत पसंद है,
अगर मैं रागिनी बन जाऊं,
तो अपने सुरों में बांध लोगे ना ।