Welcome to the Official Web Portal of Lakshyavedh Group of Firms

कविता: जंग का सिपाही (अमृता कुमारी, आसनसोल, पश्चिम बंगाल)

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के
 "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार अमृता कुमारी की एक कविता  जिसका शीर्षक है “जंग का सिपाही ”:

जंग पर जा रहा हूँ मैं
दुश्मनो को उनकी औकात दिखाने,
कि जब - जब किसी देश की
रावण सदृशय  सेना ने हम पर  प्रहार किया
तब - तब हमने उनका संहार किया
 
आज फिर जा रहा हूँ मैं
दुष्टों का सर्वनाश करने,
उनको उनकी सीमा याद दिलाने
मुझे नहीं पता हर बार की तरह
इस  बार  लौट पाऊँगा की नहीं
बस अपने परिवार के प्रति
अपने एहसासो को बयां करना चाहता हूँ,
 
प्यारे पापा आपकी ज़िमेदारी को
अपने कंधे पर ना ले पाया,
मुझे माफ करना माँ
मैं बेटे का फर्ज़ न निभा पाया
माफ कर देना मेरे छोटे भाई
तुमसे दोस्ती वाली यारी ना कर पाया,
माफ कर देना मेरी लाडली बहना
मैं हर बार की तरह इस बार भी
तुम्हरी राखी अपनी कलायी पर न बांध पाया
 
मेरी पत्नी से कहना
मेरे जाने का मातम ना मनाये
बल्कि मेरी शहीदी पर गर्व करें
और खुशी - खुशी मुझे विदाई दे,
 
मेरी बेटी से कहना, 
मेरे अधूरे ख्वाइश को पूरा करें ...
... मेरे  नाम पूरे जग मे रोशन करें। 
 
और अंत  में
ऐ मेरी वर्दी, मेरे परिवार को,
मुझपर गर्व का एहसास दिलाना, उनसे कहना
उनके बेटे ने पापियों का संघार किया
और अपने देश को दुश्मनो से आज़ाद किया।