पश्चिम
बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से
प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद
हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके
सामने प्रस्तुत है रचनाकार प्रतिभा सिंह की एक कविता जिसका
शीर्षक है “सम्बन्धों में प्रेम नहीं है”:
सम्बन्धों में प्रेम नहीं है, हर रिश्ते में दूरी है।
मनुज दूर है मानवता से, ये कैसी मजबूरी है ?
भाई - भाई ही कलयुग में,
मनुज दूर है मानवता से , ये कैसी मजबूरी है ?
हर घर में दीवार खड़ी है,
मनुज दूर है मानवता से, ये कैसी मजबूरी है?
सुत अब वृद्ध पिता - माता का,
देख जगत की अजब चाल यह,
मुंह से रामनाम जपते सब, मगर बगल में छूरी है।
मनुज दूर है मानवता से, ये कैसी मजबूरी है ?