पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार अमित कुमार राय की एक कविता जिसका शीर्षक है “लाखों में एक हमारी गीता”:
हमारी गीता
लाखों में एक
हमारी गीता ||
बचपन से वह बड़ी
सयानी,
उसमें दुर्गा - रमा भवानी,
शैशव में रोगों
से लड़ है, उसने
यम को जीता |
लाखों में एक
हमारी गीता ||
ध्वनि जिसकी
गीर्देवी सी है,
वाणी में अमृता
बसी है,
टी वी से है
प्रेम उसे, वह सखी कार्य विपरीता |
लाखों में एक
हमारी गीता ||
सबका नकल उतारा
करती,
यही बात उसे
न्यारा करती,
हँसी उड़ाने की
जादू में भी उसने सबका मन जीता |
लाखों में एक
हमारी गीता ||
चरणों में मैं
मस्तक धर दूँ,
उसका पूजन अर्चन
कर दूँ,
मैं ही क्या हूँ
उसके आगे,
उससे भाग्य हमारे
जागे,
आशीष में यह दीदी
कहतीं – वत्स !
रहो तुम सदा
विजीता |
लाखों में एक
हमारी गीता ||