पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार मौ● यूसुफ़ रजा “कैफ़ी सुलतान” की एक कविता जिसका शीर्षक है “ख़ाब”:
मेरी नज़्म पढ कर
तेरे लब महक रहे
हैं
मेरे लफ्ज़ इस
बहाने
तेरे लबों को
चूमते हैं
जब मेरे लफ्ज़
मेरे लबों को
छूकर निकल रहे थे
मैंने दुआ ये की
थी
कि किसी दिन
जब मेरी नज़्म वो
पढेगी
वही लफ्ज़ उसके
लबों को चूमेंगे
तब मेरा देरीना
ख़ाब पूरा होगा।