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कविता: सुंदर सलोना परिवार (कल्पना गुप्ता "रतन", जम्मू एंड कश्मीर)

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार कल्पना गुप्ता "रतन" की एक कविता  जिसका शीर्षक है “सुंदर सलोना परिवार”:

गई मैं करने

विश्व का भ्रमण

मन में थी उमंग

उठ रही थी तरगं

देखूंगी एक नया जहां

मुट्ठी में होगा आसमां

सपनों की थी उड़ान

न थमने वाला तूफ़ान

केवल मैं हूंगी,होंगे

मेरे ख्वाब, खुशनसीबी

का ना दे पाऊंगी जवाब

उड़ने को बेकरार

तभी मन ने की तकरार

क्या उड़ पाओगी, अकेली

क्या जी पाओगी, बिन परिवार

यह घर ही तो है जहां करते

सब एक दूसरे से प्यार

वहां तो तकरार मैं भी होता करार

बाहर से रहते हैं रुठे

अंदर से सब कर रहे होते दुआ

ना हो दूर कोई करते रहें

सुबह  उठ नमस्कार

उड़ान चाहे जितनी हो ऊंची

सबसे प्यारा हमें अपने सपनों का घर