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कविता: तो फिर आओ मिलने ! (छोटे लाल प्रसाद, वर्धमान, पश्चिम बंगाल)

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के
 "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार छोटे लाल प्रसाद की एक कविता  जिसका शीर्षक है “तो फिर आओ मिलने !”: 

जो तुम कहते हो कि
हर पल तुम्हारी याद आती है,
सुबह से लेकर शाम तक
तुम्हारी ही फिक्र सताती है,
तो फिर आओ मिलने
मुझे भी तुम्हारी याद आती है।
 
पागलो की तरह
बाते तो हर रोज करते हो
प्रेम करने का तरीका दिखाते हो
फिर क्यों सबसे छुप कर रहते हो ?
मोहब्बत गुनाह नहीं है समाज में तो
आओ मिलने लेकर जाओ मुझको
मैं भी तुम्हारा राह देखती हूं,
दिन भर तुमको ही याद करती हूं !
पर बातों में मैं इजहार नहीं कर पाती
सच जानना है तो आओ मिलने
मैं तो सदैव तुम्हें अपने पास रखती हूं !!