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कविता: कलम उठाई (रोजिना छेत्री, सिलीगुड़ी, पश्चिम बंगाल)

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के
 "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार रोजिना छेत्री की एक कविता  जिसका शीर्षक है “कलम उठाई”: 

कलम उठाई कलम उठाई
हाँ आज मैंने कलम उठाई
जब जब हो अत्याचार
लोग कहे करो दुहाई
हाँ आज मैंने कलम उठाई
लोगो से कुछ छीन बैठा
सुन कर कोई अडिग
करे ना कोई आवाज
इंसान से इंसान करे लड़ाई
हाँ आज मैंने कलम उठाई
 
दुनियादारी किसको है समझ आती
पैसों मे लड़ाई पशुओ की भांति
अपने ही अपनो को बेचते
बिना रुपए के कहा होती है बिदाई
हाँ आज मैंने कलम उठाई
धर्म के नाम पर लड़ बैठ
भगवान के घर को अलग किया
आलीशान में है कोई
तो कोई सड़क पर लेटा
पाप करे और क्षमा मांगे
कब समझे ये लोग
कब समझे ये लोग
क्या बापू ने हमें यही सिखाया ...
 
कलम में इतनी ताकत है
झुका दे पूरी कायनात को
अगर देख लो कोई अन्याय
रहो तत्पर लिखने को
हाँ आज मैंने कलम उठाई