पश्चिम
बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से
प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद
हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके
सामने प्रस्तुत है रचनाकार अर्चना होता की एक कविता जिसका
शीर्षक है “सुनहरी धूप ... सी जिंदगी”:
सुबह की सुनहरी धूप सी धानी है जिंदगी
पत्थर है, कभी फूल है,पानी है जिंदगी
बचपन है, जवानी है, बुढ़ापा है जिंदगी
राग है, बैराग है, सौगात हैं, ये जिंदगी
बिटिया गरीब मां की सयानी है जिंदगी
पर्वत शिखर से भी ऊंची है ये जिंदगी
दलदल में कूदकर ही पा सकेंगे जिंदगी
जिद छोड़ दे नादान इसमें है भलाई
वैसे तो मौत से भी पुरानी है जिंदगी
लगती कबीर की वाणी है जिंदगी
कर्म के फल पर ही मिलती है जिंदगी
चांद की चांदनी सी शीतल है जिंदगी
छेड़ो तो मुरली की धुन सी सुरीली है जिन्दगी ।