पश्चिम बंगाल
के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से
प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद
हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके
सामने प्रस्तुत है रचनाकार विक्की चंदेल “चंदेल साहिब” की एक कविता जिसका
शीर्षक है “माँ के हाथों की रोटी”:
माँ की वो रसोई फ़िक्र न थी कोई।
टपकती हुई छत बरसात की रात।।
चूल्हे के किनारे बैठते भाई बहन सारे।।
मन के थे साफ़ बुनते थे ख़ाब।।
परियों की कहानी नानी की ज़ुबानी।।
माँ के हाथों की रोटी सरसों का साग।।
बचपन के रंग मासूम यारों के संग।।