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गीत: गोविंद कृष्ण मुरारी (विक्की चंदेल “चंदेल साहिब”, बिलासपुर, हिमाचल प्रदेश)

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार विक्की चंदेल “चंदेल साहिब का एक गीत  जिसका शीर्षक है “गोविंद कृष्ण मुरारी”: 

गोविंद कृष्ण मुरारी,

       चरणों का मैं पुजारी.

पूजा करूँगा तेरी,

          विनती करूँगा तेरी.

 

मैंने सुना है रामयुग में,

          तूने सबरी तारी-२.

तेरी राह को तकते-२,

         बीती उम्र है सारी.

धन्य है भीलनी प्यारी,

         पूजा करी पुकारी.

गोविंद कृष्ण मुरारी,

      चरणों का मैं पुजारी।

 

मैंने सुना है कृष्ण युग में,

             तूने कुब्जा तारी-२.

सुंदरी-२ कहकर काया,

            सुंदर ही कर डाली.

धन्य है कुब्जा प्यारी,

            श्रृंगार करी बनवारी.

गोविंद कृष्ण मुरारी,

      चरणों का मैं पुजारी।