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कविता: घबड़ाना, ठहरना या रुकना नहीं (नीलू गुप्ता, सिलीगुड़ी, पश्चिम बंगाल)

 

लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिका के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार नीलू गुप्ता की एक कविता जिसका शीर्षक है "घबड़ाना, ठहरना या रुकना नहीं":

छूना है मुझे भी आसमां को

पर किसी को गिराने का इरादा नहीं!

हुनर अपना भी है तराशना मुझे

पर किसी को कमतर कभी आंकना नहीं!

मंजिलें मेरी भले ही दूर हो मुझसे

पर बाधा किसी के रास्ते का मुझे बनना नहीं!

ख्वाहिशें अपनी मुझे पूरी करनी तो है

पर किसी के सपनों को मुझे कुचलना नहीं!

किसी का साथ मिले न मिले मुझे सफर में

पर घबड़ाना, ठहरना या कभी मुझे रुकना नहीं!

प्रगति पथ पर आगे बढ़ना तो अवश्य है मुझे

पर किसी को पीछे धकेलने की मुझे चाह नहीं!