पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी
जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका
स्वागत है। आज
आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार “शिखा मिंज” की
एक कविता जिसका शीर्षक है “हिंदी”:
हिंद के निवासी है हम,
हिंदी है राजभाष
हमारी।
आज का दिन है बड़ा खास,
क्योंकि है हिंदी
का दिवस।
हिन्द है पहचान
हमारी,
हिंदी है जान
हमारी।
फिर भी कुछ लोगों ने इसको,
अपने लिए अपमान
मानी।
कैसी ये विडम्बना
है,
जैसा देश वैसा
भेष कहते हैं मगर,
देश की भाषा से
वे,
स्वंय अपमानित हो
जाते हैं।
और दूसरों की भाषा को,
गर्व पूर्वक अपनाते हैं।
देश का हिस्सा होकर भी,
क्यों नहीं इसे
अपनाते हैं।
जब तक है सांस तब
तक है आस,
हिंदी का होता
रहेगा विकास।
पंत, गुप्त, वर्मा, द्विवेदी की भांति,
इस युग में भी
कोई होगा खास।
जो करते रहेंगे हिंदी का विकास।
अपनी निरंतर प्रयास से,
हर जुबां तक
पहुंचायेंगे इसे।
इन्तजार है उस
दिन का,
जब मिलेगा सबका
सहयोग।
बनेगा जिससे, एक नया योग।
और करेंगे सब हिंदी का,
राष्ट्रीय भाषा
के रूप में प्रयोग।
हिंद के निवासी है हम,
आज का दिन है बड़ा खास,
फिर भी कुछ लोगों ने इसको,
और दूसरों की भाषा को,
देश का हिस्सा होकर भी,
पंत, गुप्त, वर्मा, द्विवेदी की भांति,
जो करते रहेंगे हिंदी का विकास।
अपनी निरंतर प्रयास से,
बनेगा जिससे, एक नया योग।
और करेंगे सब हिंदी का,