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लघुकथा: न्याय (सन्धया पाण्डेय, हरदा, मध्य प्रदेश)


पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी
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कोर्ट ने जब राधा को आदेश दिया कि तुम्हे ससुराल जाना पड़ेगा। तो एकबार फिर वो अपना बयान देने जज साहब के सामने उपस्थित हो गई। और उस के बयान से केस में नया मोड़ आ गया। राधा ने कहा जज साहब मेरे बाबा ने पहले ही मेरे ससुराल वालों को बहुत सा दहेज और एक लाख रुपये नकद दिए है अब वो और नही दे सकते। में ससुराल तभी जाऊंगी जब ये लोग मेरे बाबा को एक लाखवापस रुपये लौटा देंगे। दरअसल मेरे बाबा को एक लाख रुपये की व्यवस्था करने के लिए मेरी शिक्षा, संस्कार, ईमानदारी, प्रेम, अपनापन सबकुछ जमींदार के यहाँ गिरवी रख कर लाना पड़ा था। अब आप न्याय कीजिये जज साहब मेरे बाबा के रुपये लोटवा दीजिये ताकि में अपना गिरवी रखा सामान छुड़वाकर वापस ससुराल जा सकूँ।
 
 
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1) प्रतीक्षा