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कविता: शिक्षक (बिवेक कामी, गंगुटिया चाय बगान, कालचिनी, पश्चिम बंगाल)


पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार बिवेक कामी की एक कविता  जिसका शीर्षक है “शिक्षक”:
 
तुम मत पूछो शिक्षक कौन है?
शिक्षक न कोई पद है,
शिक्षक न कोई आय है,
शिक्षक न कोई कर्म है,
न शिक्षक कोई धर्म है,
शिक्षक तो ईश्वर का वरदान है,
शिष्य के लिए ज्ञान पाने का माध्यम है।
 
शिक्षक कभी मित्र बन जाता है,
तो कभी मां कभी पिता का हाथ है,
इसलिए साथ न रहकर भी
ताउम्र हमारे आसपास है।
 
शिक्षक कभी नायक, तो कभी खलनायक,
कभी विभूषण बन जाता है।
हमारे लिए न जाने कितने मूखोटे
शिक्षक स्वय पहन लेता है।
पर उनका एक ही लक्ष्य हमें
ज्ञान दिलाना रह जाता है।
 
शिक्षक किसी धर्म से ऊपर है,
अपने शिष्यों के लिए स्वय धर्म है।
शिक्षक अनुभूत सत्य है,
शिष्यों के लिए मानो कोई परिक्षता है।

तुम मत पूछो शिक्षक कौन है?
शिक्षक न कोई पद है,
शिक्षक न कोई आय है,
शिक्षक न कोई कर्म है,
शिक्षक न कोई धर्म है,
शिक्षक तो ईश्वर का वरदान है,
शिष्यों के लिए ज्ञान पाने का माध्यम है।

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