पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार “बी आकाश राव” की एक कविता जिसका शीर्षक है “हे गुरुवर”:
किसी ने दीपक कहा
किसी ने गोविंद से बड़ा किया।
अपने पैरों पर हमें
गुरु के ज्ञान ने ही खड़ा किया।
गुरु जो बंधु है सखा भी है।
गुरु आशीर्वाद है ज्ञान भी है
गुरु विद्या का वरदान भी है।
नित नये आविष्कार हुए।
ज्ञान-विज्ञान के कई नये
दुर्गम सपने साकार हुए।
हमको सत्कर्म सिखाता कौन?
हमको राह दिखाता कौन?
शिक्षा का संचार किया।
विविध ज्ञान की प्राप्ति के लिए
कभी दंड दिया कभी प्यार किया।
जीवन का सार दिया तुमने।
संघर्ष कर सके जीवन में हम
वह विस्तृत आधार दिया तुमने।
तुमने ही यह सिद्धांत दिया।
अपने समस्त विद्यार्थियों की
जिज्ञासा को शांत किया।
तुमने ही विस्तार दिया।
जीवन में जब भी मैं भटका
तुमने ही सुधार किया।
तुम मजबूत धागे थे।
विद्यार्थियों पर जब आयी विपदा
तुम ही सबसे आगे थे।
तुम श्रद्धा के पात्र रहे।
हम सबके शिक्षक बनकर भी
आजीवन एक छात्र रहे।
Our Social Media Links:
✓ Web Portal
✓ YouTube
✓ Facebook Page
✓ Facebook Group
✓ Telegram
✓ WhatsApp
✓ Google Site