पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार “उदय किशोर साह” की एक कविता जिसका शीर्षक है “बुजुर्ग का दुश्मन”:
जन्मदाता को पूत बैरी समझा
जिसने पाला और पोशा था
उनका दर्द कोई ना समझा
बुजुर्ग पाता है घर में दुत्कार
जिनके काँधे परिजन पलते थे
उनको ना मिलता घर में सत्कार
खिलाने वाले की थाली में दाल नहीं
एक दर्जन बच्चे को था कभी पाला
उनके लिये रोटी दाल का जुगाड़ हटी
घर के मालिक को घर में शरण नहीं
वृद्धाश्रम भेज रहा है औलाद
कुपूत के ऑखों में शरम नहीं
ममता की देवी को नमन नहीं
जिसने ऑचल की छाया दिया था
उनको ही खुद की वतन नहीं
दूध की कीमत पूत भूल गया
माता पिता दादा दादी को
अपने मन से अछूत किया
कुपूत बन बैठा बुजुर्ग का दुश्मन
ये कैसा चलन शुरू हो गया
जब अपना खून बना गया उलझन