पश्चिम
बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से
प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दीडिजिटल फॉर्मेटकीपत्रिका "लक्ष्यभेद
हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है।आज आपके
सामने प्रस्तुत है रचनाकार “सुनीता कुमारी”की
एककविताजिसका
शीर्षक है “अंधविश्वास”: बरगद, पीपल पत्थर पूजते , क्या हम
अंधविश्वासीहैं ? या फिर ? अपने ही विकृत
सोच का, बन बैठे हम दासी
हैं ? नदी पूजते स्नान
करते , पाप धोते
भूतकालका ? हर स्नान करने
वाला क्या ? पापी है इस धरती
का ? कभी तो बोलो ,जवाब दो, हँसने वाले हर एक
को । जो इसे
अंधविश्वास समझते , आँखें खोलो हर
का। बरगद ,पीपल ,तुलसी पूज कर , सम्मान करते इस
प्रकृति का । जिसके कारण जीवन
मिला, पोषण मिलता इस
काया को । पत्थर पूजकर
सम्मान करते। इस पर्यावरण इस
मिट्टी का। कण कण का आभार
व्यक्त करते, जिसके परयह जीवनचलता। नदी नदी स्नान
करके महत्व बताते नदी का। जिसका निर्मल जल
पीकर , प्यास बुझाते, इस तन और
अन्तर्मन का, यह धरती यह पत्थर
प्रकृति जिसकेहम कर्जदार है , जिनके सम्मान में
हम नतमस्तक
आभारीहै। सम्मान पानाहक है, इस पीपलइस बरगद का, पत्थरपहाड़ नदी औरप्रकृति , जिसने हमेयह जीवन दिया है ।
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