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कविता: मैं एक नारी हूँ (सोनल ओमर, कानपुर, उत्तर प्रदेश)


पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के
 "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार “सोनल ओमर की एक कविता  जिसका शीर्षक है “मैं एक नारी हूँ”:

 
मैं अबला नहीं,
असहाय नहीं,
ना ही बेचारी हूँ।
मैं गर्व से कहती हूँ,
मैं एक नारी हूँ।।
 
जन्म से ही मुझे
असमानताओं का समाज दिखा।
फिर भी हर परिस्थिति में
संघर्षों में चलना सीखा।
विषम हुए हालात
पर ना हालात की मारी हूँ।
मैं गर्व से कहती हूँ,
मैं एक नारी हूँ।।
 
कभी सोच लूँ अपने बारे में
तो समझ लेते खुदगर्जी वो।
मैं बात करूँ आत्मनिर्भरता की
तब थोप देंगे अपनी मर्जी को।
करती नहीं विद्रोह क्योंकि
सभ्य, शिष्ट, संस्कारी हूँ।
मैं गर्व से कहती हूँ,
मैं एक नारी हूँ।।
 
चूड़ी, पायल, घूँघट, साड़ी कभी
तो कभी दायरों में बाँध दिया।
नौ माह जिसे गर्भ में रखा
उसे भी ना मेरा नाम दिया।
मौन हो करूँ स्वीकार सभी
मगर ना समझो मैं हारी हूँ।
मैं गर्व से कहती हूँ,
मैं एक नारी हूँ।।
 
क्योंकि मैं अबला नहीं,
असहाय नहीं,
ना ही बेचारी हूँ।
मैं गर्व से कहती हूँ,
मैं एक नारी हूँ।।