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कविता: कलम में जादू है (क्षमता कुमारी गुप्ता, बागडोगरा, पश्चिम बंगाल)


पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के
 "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार “क्षमता कुमारी गुप्ता की एक कविता  जिसका शीर्षक है “कलम में जादू है”: 

 
हृदय के सूनेपन से अन्त‌‌: मन बेकाबू है,
ओर लोग कहते है "कलम में जादू है"।
 
लाखों सपने है इन खुले आंखों में, ओर जिंदगी है एक,
इस पंचतत्व के मालिक के खेल है अनेक,
सूरज को अकेले जगमगाते देख, खुद को जगमगाना है,
एक जीवन में ही, कई जीवन जी जाना है
बंजर से लम्हें जिन्दगी के गुजर चुके, अब बरसात बाकी हैं
चांद की ख्वाहिश में गुजार दी हसीन लम्हें, 
अब सूरज का प्रकाश बाकी है
बहुत डूबोया कीचडो़ ने टहनियों को,
अब कमल का खिलना बाकी हैं
देखें है लाखो ज़िन्दगी को बिखरते - निखरते,
अब खुद का जीना बाकी है
कुछ अधूरे ख्वाब पूरे करने बाकी है
बहुत देखे सपने, अब हकीकत से मिलना बाकी है
जीवन का संवरना बाकी है,
सफ़र में निकल चुके, अब मंजिल का मिलना बाकी है
मंजिल को पाने के लिए ही दिल बेकाबू है,
ओर लोग कहते हैं "कलम में जादू है"।