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कविता: तुम किसका अपेक्षा कर रहो हो (शिखा मिंज, खोड़ीबाड़ी, सिलीगुड़ी, पश्चिम बंगाल)


पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के
 "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार “शिखा मिंज की एक कविता  जिसका शीर्षक है “तुम किसका अपेक्षा कर रहो हो”:

 
सब खलनायक है यहां
तुम किसका अपेक्षा कर रहे हो
नायक बनकर तुम्हें ही आना होगा
तुम ये जान लो।
हो सकता है
तन से कमजोर मन से टूटे
बुद्धि से भ्रष्ट हो
तो मरामत करके स्वयं का
बुद्धि का प्याला
तुम्हें ही सबको पिलाना होगा।
सब खलनायक है यहां
तुम किसका अपेक्षा कर रहे हो
ज्ञान ज्योति से प्रकाशित जग को
तुम्हें ही करना होगा
दर्पण सच्चाई का सामने रख कर
षड़यंत्रों का पर्दाफाश
तुम्हें ही करना होगा।
अगर चूल्हा नहीं जल रहा है तुम्हारा
तो तुम्हें ही कुछ करना होगा
अगर हक नहीं मिल रहा है तुम्हारा
तो तुम्हें ही लड़ना होगा
अगर जीवित होकर भी मृत समान हो तुम
तो जाओ तुम्हें मरना होगा।