पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार “सुधीर शर्मा” की एक कविता जिसका शीर्षक है “हमारे प्यारे बापू”:
सदा सत्य को अपनाया जिसने।
कहते सब हैं प्यार से बापू॥
आज़ादी के त्राण हैं बापू।
हिंदुस्तान के मान हैं बापू॥
करुणा के सागर हैं बापू।
ज्ञान, विवेक के गागर हैं बापू॥
सदा अहिंसा को अपनाया जिसने।
कहते सब हैं प्यार से बापू॥
आंदोलन की पहचान हैं बापू।
हिंदुस्तान के शान हैं बापू॥
हर युग की पहचान हैं बापू।
घर - घर की हैं मान हैं बापू॥
धोती, लाठी पहचान हैं जिनके।
कहते सब हैं प्यार से बापू॥
रूई से सूत बनाते, चरखा नित्य चलाते बापू।
स्वदेशी उत्पाद अपनाओ, सबको यही सिखाते बापू॥
जात - पात का भेद मिटाया।
दुनिया को यह पाठ पढ़ाया॥
सूरज जैसा ताप है जिसमें।
कहते सब हैं प्यार से बापू॥
सच्चाई की राह पर चलकर जिसने।
सीने पर हैं गोली खाई।
बूढ़ा समझ जिसे, अंग्रेज़ों ने धोखा खाया।
बापू बनकर उसने, आज़ादी की सुधा चखाया॥
प्रिय जिनके, सादा जीवन और उच्च विचार।
कहते उनको सब हैं प्यार से बापू॥