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कविता: सुहानी बरसात (अशोक शर्मा, कुशीनगर, उत्तर प्रदेश)


पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के
 "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार “अशोक शर्मा की एक कविता  जिसका शीर्षक है “सुहानी बरसात”:

 
पवन लहर सम, बहकत तन मन,
गगन बजत जस, छमछम छमछम
 
दमकत चमकत, नभ बरसत जब,
जलकण तनपर, मलत मदन तब।
 
सरवर छलकत, लचकत लचकत।
जलधर सरकत, अस जस अजगर।
 
नभ अब लगत ह, नव घर जइसन,
घन उमड़त जस, शशकन अइसन।
 
कलकल कर झर, चरनन पखरत।
खग कलरव मन, हरदम मचलत।
 
तन मन उलसत, उर भर फलकत।
बदन रजत सम, जन लख हरसत।
 
कड़ कड़ कर जब, चकमक चमकत।
अधरन पर तब, कमपन पसरत।
 
तपन जलन अब, रजकण उलफत ।
सहज सहज सह, गदगद झलकत।
 
उपवन हरसत, नव दमपत सम।
कचर पचर पर, मगन गगन जन।
 
सब मन चहकत, रहत इ हरदम।
बरसत कलकल, छमछम झमझम।