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कविता: नववर्ष तेरा अभिनंदन है... (शिशिर शुक्ला, शाहजहांपुर, उत्तरप्रदेश)


पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के
 "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार “शिशिर शुक्ला की एक कविता  जिसका शीर्षक है “नववर्ष तेरा अभिनंदन है...”:
 
"हुए अनगिनत दीप प्रज्ज्वलित, खुशियों और आशाओं के,
अंतर्मन में हुए प्रस्फुटित अंकुर अभिलाषाओं के ।
खग, नभ, नीर, समीर, विटप का झूम उठा ज्यों तन मन है,
बहती बयार में गीत निहित, नववर्ष तेरा अभिनंदन है ।
    धूल, घाम और छांव कहे, धुन्ध में लिपटा गांव कहे,
    उषा की अरुणिम प्राची, रवि के नभ पर बढ़ते पाँव कहें ।
    पात, पुहुप, पशु, नर, नारी करते प्रभात का वंदन हैं,
    बहती बयार में गीत निहित, नववर्ष तेरा अभिनंदन है ।
स्वर्णिम स्वप्न जो दृग में शोभित, शायद अभी अधूरे हैं,
उन्नत लक्ष्य चित्त में बैठे, करने सबको पूरे हैं ।
पूर्ण ध्येय करने को दिखता, दृढ़प्रतिज्ञ अब जन जन है,
बहती बयार में गीत निहित, नववर्ष तेरा अभिनंदन है ।
    जाते लम्हों के साथ मुक्त हो, घृणा, द्वेष से ये जीवन,
    इक दूजे के स्वागत में हम सब, आज बिखेरें नेह सुमन ।
    प्रेम और सौहार्द से सजता मानवता का आंगन है,
    बहती बयार में गीत निहित, नववर्ष तेरा अभिनंदन है ।