पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार “शिशिर शुक्ला” की एक कविता जिसका शीर्षक है “नववर्ष तेरा अभिनंदन है...”:
"हुए अनगिनत दीप प्रज्ज्वलित, खुशियों और आशाओं के,
खग, नभ, नीर, समीर, विटप का झूम उठा ज्यों तन मन है,
धूल, घाम और छांव कहे, धुन्ध में लिपटा गांव कहे,
पात, पुहुप, पशु, नर, नारी करते प्रभात का वंदन हैं,
स्वर्णिम स्वप्न जो दृग में शोभित, शायद अभी अधूरे हैं,
पूर्ण ध्येय करने को दिखता, दृढ़प्रतिज्ञ अब जन जन है,
जाते लम्हों के साथ मुक्त हो, घृणा, द्वेष से ये जीवन,
प्रेम और सौहार्द से सजता मानवता का आंगन है,