पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार “काजल सिंह” की एक कविता जिसका शीर्षक है “माँ”:
मेरी गलती ना भी हो
बेवजह डांट लगाती है
जरा सी आँच आ जाए तो
मेरे लिए दुनिया से लड़ जाती है
एक माँ ही तो है
जो निस्वार्थ प्रेम लुटाती है |
थोड़ी सी हताशा मुझे हो
तो आँख उनकी भर आती है
मेरे लम्बे उम्र के लिए
ना जाने कितने दिये जलाती है
एक माँ ही तो है
जो निस्वार्थ प्रेम निभाती है |