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कविता: बेरोजगार युवा (जूही सिंह, जौनपुर, उत्तर प्रदेश)


पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के
 "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार “जूही सिंह की एक कविता  जिसका शीर्षक है “बेरोजगार युवा”:

महंगाई दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है
रोजगार का कोई ठिकाना नहीं है
बेरोजगारी हर जगह फैलकर 
युवा को लाचार कर रही है
सरकार चुनाव से पहले 
युवाओं को रोजगार के सपने दिखाती है 
चुनाव खत्म होते ही 
उनके सपनों को चूर चूर कर जाती हैं 
भूखमरी की गाथा को 
किस- किस को  ये सुनाए 
अपनी लाचारी के दृश्य को 
कैसे सब को सिखाएं 
जब सड़कों पर नारे लगाकर 
अपने हक की बात करते हैं
तो सरकार द्वारा सैकड़ों पुलिस के डंडे 
उन पर बरसते हैं 
रोजगार ना होने पर घर में भी अपमान सहना होता है जरा पूछो इन युवाओं से 
इनको क्या क्या सहना होता है
बात आत्महत्या पर पहुंच जाती है 
जान से भी हाथ धोना पड़ता है