लेखाशास्त्र (कक्षा 11 सेमेस्टर II) अध्याय 6: मूल्यह्रास (Depreciation)
प्र.1. मूल्यह्रास (Depreciation) किसे कहते हैं? इसके गुण लिखिए।
उत्तर: समय और उपयोग के साथ किसी स्थायी संपत्ति का मूल्य या उपयोगिता घटने से जो स्थायी हानि होती है उसे मूल्यह्रास कहते हैं।
मूल्यह्रास के गुण:
(क) मूल्यह्रास केवल स्थायी संपत्तियों पर लगाया जाता है, चल संपत्तियों पर नहीं।
(ख) मूल्यह्रास एक प्रकार का खर्च या हानि है, इसलिए यह नाममात्र खाते में आता है।
(ग) यह व्यापार का आंतरिक लेन-देन है, इसमें कोई बाहरी पक्ष शामिल नहीं होता।
(घ) मूल्यह्रास संपत्ति के बाजार मूल्य में परिवर्तन पर निर्भर नहीं करता।
(ङ) वास्तविक वित्तीय परिणाम और स्थिति निर्धारित करने हेतु मूल्यह्रास सही तरीके से लगाया जाना चाहिए।
प्र.2. मूल्यह्रास लगाने की विभिन्न विधियों के नाम लिखिए।
उत्तर:
(1) स्थिर किस्त पद्धति (Fixed Instalment Method) या सीधी रेखा पद्धति (Straight Line Method)
(2) घटती शेष पद्धति (Diminishing Balance Method) या घटती किस्त पद्धति (Reducing Balance Method)
(3) वार्षिकी पद्धति (Annuity Method)
(4) मूल्यह्रास निधि पद्धति (Depreciation Fund Method) या सिंकिंग फंड पद्धति (Sinking Fund Method)
(5) बीमा पॉलिसी पद्धति (Insurance Policy Method)
(6) मशीन-घंटा दर पद्धति (Machine Hour Rate Method)
(7) पुनर्मूल्यांकन पद्धति (Revaluation Method)
(8) क्षय अनुपात पद्धति (Depletion Method)
(9) वर्षों के अंकों का योग पद्धति (Sum of the Years’ Digit Method)
(10) मरम्मत, रखरखाव और मूल्यह्रास निधि पद्धति (Repair, Maintenance and Depreciation Fund Method)
प्र.3. स्थिर किस्त पद्धति या सीधी रेखा पद्धति क्या है? इसके लाभ और हानि लिखिए।
उत्तर: इस पद्धति में किसी संपत्ति पर हर वर्ष समान राशि से मूल्यह्रास लगाया जाता है।
सूत्र:
वार्षिक मूल्यह्रास = (मूल लागत - अवशिष्ट मूल्य) ÷ अनुमानित आयु
लाभ:
(क) सरल और समझने में आसान।
(ख) संपत्ति की उपयोगी आयु समाप्त होने पर मूल्य समाप्त हो जाता है।
(ग) समान उपयोग वाली संपत्तियों के लिए उपयुक्त।
हानि:
(क) हर वर्ष समान लाभ मानना अवास्तविक है।
(ख) पूंजी निवेश पर ब्याज हानि का ध्यान नहीं रखा जाता।
(ग) यह आयकर अधिनियम व कंपनी अधिनियम द्वारा मान्य नहीं।
प्र.4. घटती शेष पद्धति क्या है? इसके लाभ और हानि लिखिए।
उत्तर: इस पद्धति में हर वर्ष संपत्ति के प्रारंभिक शेष मूल्य पर एक निश्चित दर से मूल्यह्रास लगाया जाता है।
लाभ:
(क) आयकर अधिनियम द्वारा मान्य।
(ख) प्रारंभिक वर्षों में अधिक मूल्यह्रास लगने से अप्रचलन का जोखिम घटता है।
हानि:
(क) गणना जटिल होती है।
(ख) ब्याज हानि का ध्यान नहीं रखा जाता।
प्र.5. मूल्यह्रास के कारणों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर: कारण दो प्रकार के हैं —
(1) आंतरिक कारण:
उपयोगजनित क्षय (Wear & Tear)
संसाधन दोहन (Depletion)
कार्य क्षमता में कमी (Exhaustion)
(2) बाहरी कारण:
समय का प्रभाव (Efflux of Time)
अप्रचलन (Obsolescence)
दुर्घटना (Accident)
बाजार मूल्य में स्थायी गिरावट (Permanent Fall in Market Price)
प्र.6. मूल्यह्रास क्यों लगाया जाता है?
उत्तर:
(1) वास्तविक उत्पादन लागत ज्ञात करने के लिए।
(2) संपत्ति का वास्तविक मूल्य निर्धारित करने हेतु।
(3) वास्तविक लाभ या हानि जानने के लिए।
(4) पूंजी का संरक्षण करने के लिए।
(5) कानूनी दायित्व पूरा करने हेतु (आयकर अधिनियम व कंपनी अधिनियम)।
प्र.7. मूल्यह्रास की राशि किन बातों पर निर्भर करती है?
उत्तर:
(1) संपत्ति की मूल लागत
(2) खरीद से संबंधित व्यय
(3) उपयोग के योग्य बनाने का खर्च
(4) अनुमानित आयु
(5) अनुमानित अवशिष्ट मूल्य
(6) प्रतिस्थापन लागत
प्र.8. भारत में मूल्यह्रास किस लेखा मानक से संबंधित है?
उत्तर: लेखा मानक (Accounting Standard) – 6 (AS-6)
प्र.9. उदाहरण:
01/01/2020 को ₹80,000 में मशीन खरीदी, ₹20,000 स्थापना खर्च, आयु 4 वर्ष, अवशिष्ट मूल्य ₹10,000।
मूल्यह्रास = ₹22,500 (सीधी रेखा पद्धति से)
प्र.10. उदाहरण:
01/04/2019 को ₹4,000 में फर्नीचर खरीदा, दर 10%।
मूल्यह्रास = ₹400
प्र.11. उदाहरण:
मूल्य = ₹40,000, दर 10% (घटती शेष पद्धति)
2 वर्ष बाद लिखित मूल्य = ₹32,400
प्र.12. उदाहरण:
01/04/2020 को मशीन का मूल्य ₹15,000, 01/10/2020 को ₹250 की हानि पर बेची गई, दर 10%।
विक्रय मूल्य = ₹14,000
प्र.13. उदाहरण:
मशीन लागत ₹50,000 + स्थापना ₹10,000, अवशिष्ट मूल्य ₹5,000, आयु 10 वर्ष।
मूल्यह्रास = ₹5,500 (सीधी रेखा पद्धति)
प्र.14. उदाहरण:
Mr. X ने 01/01/2019 को ₹1,20,000 में मशीन खरीदी, प्रतिस्थापन खर्च ₹10,000, आयु 5 वर्ष, दर 10% (घटती शेष पद्धति)।
चौथे वर्ष का मूल्यह्रास = ₹9,477

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