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कविता: हां मैं मजदूर हूं (राज कुमार साव, बर्धमान, पश्चिम बंगाल)

 

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार राज कुमार साव  की एक कविता  जिसका शीर्षक है “हां मैं मजदूर हूं":

हां मैं मजदूर हूं

रहता हूं अपने

लोगों से दूर हूं

अपने परिवार का

पेट भरने के लिए

गावों से शहरों और

शहरों से गावों की

ओर अग्रसर होने

के लिए रहता

बेबस हूं।

इस कोरोना महामारी

में दाना पानी को

तरसते हम

हां मैं मजदूर हूं।

हमारी तमननाएं भी

उम्र भर कम नहीं होंगी।

समसियाए भी कभी

हल नहीं होंगी।

फिर भी हम

जी रहे हैं

वर्षों से इस

तमन्ना में कि

मुश्किलें जो आज

है शायद कल नहीं होंगी।