पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार सरिता 'सरस' गोयल की एक कविता जिसका शीर्षक है “मजदूर":
हे, भू सेवक परिश्रमी
तेरे जीवन में
विराम नही
रवि तपिश सहकर भी
कर्मठ अपने पथ पर
रहता है
प्रकृति की
क्रोधित लीला की
अपने दामन में
ढोता है
विश्व पटल की भूख
मिटाकर
अन्न विहीन तू
रहता है
नव,निर्मित महल बनाकर
धरा ,लिपट तू सोता है
किंचित,भी परवाह ना की
जग, ने तेरे मान की
जीवन की देकर
आहुति
परीक्षा दी ईमान
की
मूल्य नहीं आंका मानव ने
मेहनत के इस
भगवान का
स्नेह भर भी नहीं
झांका
श्रम के इस इंसान
को
हे,भू सेवक परिश्रमी
तेरे जीवन में
विराम नहीं
श्रम साधक को
विश्राम नहीं।।