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कविता: दिल के परिवार में घर करने वाले (नीलू गुप्ता, सिलीगुड़ी, पश्चिम बंगाल)

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार नीलू गुप्ता  की एक कविता  जिसका शीर्षक है “दिल के परिवार में घर करने वाले":

खून के रिश्तों से ही

परिवार का निर्माण नहीं होता,

मुसीबत में थामने वाले हाथ भी

परिवार के सदस्य होते हैं।

हालात जब अपने बुरे होते है

अपने भी साथ छोड़ने लगते हैं,

तो बाहरी दुनिया के कुछ लोग

तब हमें अपने से लगने लगते हैं।

माना कि कोई रिश्ता नहीं उनसे

पर दिल के बड़े करीब से लगते हैं,

रहते नहीं संग परिवार में

पर उनके बिना सब अधूरे से लगने लगते हैं।

जरूरत पड़ने पर परिवार से बढ़कर

ये रिश्ता निभा जाते हैं,

अहमियत अपनी जताते नहीं

चुपचाप जिम्मेदारी उठा लेते हैं।

खुशनसीब होते हैं वे लोग बहुत

जिनके संसर्ग में ऐसे व्यक्ति होते हैं,

घर में बसने वाले सदस्य नहीं ये

दिल के परिवार में ये घर कर जाते हैं।