पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी
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प्रस्तुत है रचनाकार नीलू गुप्ता की एक कविता जिसका शीर्षक है “मानवता कलंकित हो रही":
ईश्वर
तेरी लीला अपरम्पार
जो
है हमारी समझ के पार,
कोरोना
तो आईं अमीरों के संग
पर
सजा भुगत रहे हैं गरीब जन।
करनी
किसी और की
भुगतान
कोई और कर रहा,
कुछ
तो घर में आराम फरमा रहे
और
कुछ का जीवन तो बोझ है बना।
भूख,तंगी, लाचारी, बेरोजगारी
गरीबों
के पल्ले आ पड़ी,
नये
- नये पकवान तो सिर्फ
अमीरों
के यहां ही है सजी।
एक
समय का भोजन भी
नसीब
में किसी के नहीं मिल रहा,
पूरे
परिवार सहित कोई
विष
ग्रहण है कर रहा।
बांट
कर एक रोटी कही
सौ
तस्वीरें ली जा रही,
नाम,यश, प्रसिद्धि की होड़ में
मानवता
कलंकित हो रही।