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लघुकथा: राहुल की समझ (सीमा गर्ग मंजरी, मेरठ, उत्तर प्रदेश)

 

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार सीमा गर्ग मंजरी की एक लघुकथा  जिसका शीर्षक है “राहुल की समझ":

बच्चों की छुट्टी की घंटी बजते ही रंगीन आइसक्रीम से सजी हथठेली लेकर रहीम गेट के बाहर आकर खडा हो गया ।
बच्चों को बाहर निकलते देख वह उन्हें आइसक्रीम खरीदने के लिए आकर्षित कर भोंपू बजाने लगा ।
राहुल को सामने से आते देख कर संतरे की आइसक्रीम निकालकर रहीम ने उसकी ओर बढ़ाई ।
अपनी मनपंसद आइसक्रीम देखकर राहुल खुशी से खिलखिलाया ।
आहा!
आहा! हा!!
संतरे की आइसक्रीम!!!
वह ताली बजाता हुआ आइसक्रीम लेने के लिए लपका कि अचानक उसे कुछ याद आया ।
राहुल ने आइसक्रीम वाले से कहा कि--
"काका--
"आप आइसक्रीम मत दीजिए ,क्योंकि मेरी दादीमाँ कहती है कि--
" राहुल बेटा आजकल छूत की बुरी बीमारी फैली है । 
इससे बचने और स्वस्थ रहने के लिए हमें ठंडी-ठंडी चीजें खाने से परहेज करना है,और गर्म काढ़े का पानी पीना चाहिए ।"
इसी कारण बहुत दिन लाॅक डाउन में हम सब बंद रहें हैं। 
" ये बात क्या आपको नहीं पता काका ?" 
राहुल अपने बालमन की समझ चहकते हुये बयान कर रहा था ।

राहुल की सम्यक बात सुनकर आइसक्रीम वाले काका का मुंह उतर गया ।