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कविता: सुन्दरता (पप्पू प्रसाद जयसवाल, माल बजार, जलपाईगुड़ी, पश्चिम बंगाल)


पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार पप्पू प्रसाद जयसवाल की एक कविता  जिसका शीर्षक है “सुन्दरता":

सुन्दरता छूप गई आगोस में ,
पगली को देख कर ।
पाहन घायल हुआ ,
उसके तीखें नयनों को देख कर ।

खंग चहचहाने लगें ,
उसकी मुस्कान को देख कर ।
मृग सोच में पड़ गई ,
उसकी चाल देख कर ।

झरने की कल-कलाहट चुप हो गई ,
उसकी आवाज सुन कर ।
धरा और बादल भी शरमा गये ,
उसके लट और गालों की व्याकुलता देख कर ।

इस से ज्यादा मैं और क्या कहूँ ,
उसकी सुन्दरता को देख कर ।
कुसुम पल्लव के पीछे छिप गई ,
पगली के रगं रूप को देख कर ।