पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार नीलू गुप्ता की एक कविता जिसका शीर्षक है "आजाद हुए हम!":
देश हमारा हुआ आजाद
15 अगस्त, 1947 को,
अंग्रेजो से मुक्त हुए हम
आजादी के बंधन तोड़कर।
वीर शहीदों ने इसमें
अपनी जान गंवाई थी,
कठोर संघर्ष और क्रांति के बाद
आजादी हमने पाई थी।
मिला हमें भारत नया
एक नयी हमें पहचान मिली,
नया उमंग और नया जोश
अंतर्मन में समाहित हुई।
आजादी तो मिल गई हमें
आजाद हवा में सांस भी लिए,
पर क्या सही मायने में
आज भी है हम आजाद हुए।
फंसे हुए है आज भी हम
जाति - पाति के बंधन में
ऊंच - नीच के भेदभावों में, तो
कहीं बड़े - छोटे के घेरे में।
मानसिक रूप से आज भी हम
गुलामी की चक्की पीस रहे,
रूढ़ि, परम्पराओं के दायरे में
आज भी है हम घिरे हुए।
सच्ची आजादी अगर चाहिए तो
इन ओछी मानसिकताओं को त्याग दो
मूढ़ विचारों को छोड़ दो,
कलुषित भावनाओं को दरकिनार करो
नफरत के बंधन तोड़ दो।
फिर जो भारत का स्वरूप होगा
बेमिसाल और बड़ा बेजोड़ होगा,
सभ्यता, संस्कृति और प्रेम की नदी में
हर भारतवासी फिर सराबोर होगा।