पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार सरस्वती उनियाल की एक कविता जिसका शीर्षक है “एक कविता वीर जवान के नाम":
धन्य भारत के वीर जवान,
तुम भारत मां के रक्षक हो ।
ऋणी है यह राष्ट्र तुम्हारा
तुम वीरों के वंशज हो ।
रगों में बहता लहू तुम्हारा ,
भारत मां की आन-बान-शान है।
धन्य है मात-पिता तुम्हारे ,
देश को समर्पित किए निज प्राण हैं।
मां बहनें भी बड़ी धन्य हैं,
पिता-पुत्र-भाई रूप में तुमको पाया।
आन पड़ी जब भारत मां की ,
अपना सर्वस्व हंसकर लुटाया।
फौलादी है सीना तुम्हारा,
युद्ध भूमि में पराक्रम करते हो,
साक्षात काल का रूप धर तुम,
भारत मां की रक्षा करते हो।
तुम्हारे शौर्य-गाथाएं सदा दिग्-दिगंत में गूंजी हैं,
हौसलों की उड़ानें तुम्हारी,आकाश से भी ऊंची है।
फौलादों के सम्मुख टिके, यह शत्रु की औकात नहीं ।
नभ-जल-थल सुरक्षित करे,ये सबके बस की बात नहीं।
वीर प्रसूता मां को सदा,गर्व तुम पर भारी है,
तुम ही हो गौरव देश का,रक्षा की जिम्मेदारी है।
एक जवान भारत माँ का, सौ-सौ दुश्मन पर भारी है।
तुम्हारा देश प्रेम का जज्बा देख अति ने भी हिम्मत हारी है।
धन्य वीर तुम भारत भूमि के ,
तुम्ही देश के रक्षक हो
कृतज्ञ राष्ट्र है ऋणी तुम्हारा,
शत-शत नमन करते,नतमस्तक हो