पश्चिम
बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से
प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद
हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके
सामने प्रस्तुत है रचनाकार रीमा सिंघल की एक कविता जिसका शीर्षक है “इश्क है कलम से":
खोई रहती हूं अपने
आप में कहीं,
मन ही विचरण करता है मेरा वजूद है यहीं।
ना वाकिफ हूं अपने
इस आचरण से
हो गया इश्क मुझे अपनी कलम से।
आगोश में करती हूं
इसके नव्य सृजन
पल पल करती है यह मेरा मन रंजन।
बिसार के सारे गम, वक्त बताती हूं कलम के संग,
चढ़ा रंग नीली
स्याही का, दिल में लिखने की उमंग।
पहचान करवाई है कलम
ने मेरी मुझसे,
तभी तो इश्क हो गया
है मुझे मेरी कलम से।।
मन ही विचरण करता है मेरा वजूद है यहीं।
हो गया इश्क मुझे अपनी कलम से।
पल पल करती है यह मेरा मन रंजन।