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ग़ज़ल (रंजना बरियार, मोराबादी, राँची, झारखंड)

 

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार रंजना बरियार की एक ग़ज़ल:

प्रेम में परमात्मा का वास है, वरना जीवन में सब उदास है! तुम हो तो रंगो की बरसात है, रंगो में भी इन्द्रधनुष का वास है! मेरा होना बेमतलब बेबस है, तुम हो तो जीवन कुछ ख़ास है! आईना ने खोल दिया सब राज है, कहते थे मुखड़े में चाँद का वास है! सोचा था नूर बेनूर कहने की बात है, नूर बग़ैर,फागुन को रंगो की आस है! ख़ुशफ़हमी थी नूर टपकता है सदा, नूर को तो सिर्फ़ तुम्हारी ही आस है! बात पक्की बाँध लो गिरह तुम रंजू, उनके बिन जीवन नहीं तुम्हें रास है!